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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?

उत्तर -

उत्तर व्यस्कावस्था
(Late adulthood)

50-60 वर्ष की अवस्था उत्तर व्यस्कावस्था कहलाती है। यह अवस्था शारीरिक, मानसिक, संवेगिक, परिवर्तनों की अवस्था है। इस अवस्था में हमारे शरीर में अनेकों परिवर्तन आते हैं जो निम्नलिखित हैं -

I. शारीरिक परिवर्तन — इस अवस्था में शरीर में अनेकों परिवर्तन होते हैं जैसे -

1. पाचन संस्थान में परिवर्तन — इस अवस्था में पाचन संस्थान कमजोर होने लगता है। पाचन तंत्र से निकलने वाले स्राव का स्रावण कम हो जाता है जिसके कारण भोजन ठीक प्रकार से नहीं पचता है। पाचक रसों का ठीक प्रकार से काम न कर पाने के कारण कैल्शियम एवं लौह लवण का अवशोषण ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है जिससे शरीर में थकावट, कमजोरी का अनुभव जल्दी होने लगता है। आँतों की क्रियाशीलता कम होने लगती है। कब्ज की समस्या उत्पन्न हो जाती है, आँतों की क्रियाशीलता में कमी आने लगती है जिससे भोज्य पदार्थों का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता है और शरीर में विभिन्न तत्वों की कमी होने लगती है।

2. आधारीय चयापचय दर में कमी— इस अवस्था में शारीरिक क्रियाशीलता में कमी आने लगती है और नये तन्तुओं का निर्माण होना कम हो जाता है। अतः आधारीय चयापचय दर में कमी आने लगती है।

3. लम्बाई एवं भार में अन्तर — इस अवस्था में लम्बाई एवं भार में अन्तर आने लगता है। शरीर के ऊतक एवं मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगती हैं जिससे व्यक्ति की लम्बाई एवं भारत में अन्तर आने लगता है और व्यक्ति वृद्धावस्था की ओर अग्रसर होता है।

4. नाड़ी संस्थान में अन्तर- इस अवस्था में नाड़ी संस्थान कमजोर होने लगता है। तंत्रिकाएँ कमजोर होने लगती हैं जिससे दृष्टि क्षमता, श्रवण क्षमता, घाण क्षमता कमजोर जोने लगती है। इस अवस्था में मस्तिष्क का भार भी कम होने लगता है। केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र में परिवर्तन आने से बौद्धिक क्षमताओं का ह्रास होने लगता है।

5. अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से हारमोन का स्रावण कम मात्रा में होना- इस अवस्था में अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से हारमोन्स का स्रावण कम होने लगता है जिससे शरीर में हारमोन्स का असन्तुलन होने लगता है। इस अवस्था में थॉयराइड एवं पैराथॉयराइड ग्रन्थियों से निकलने वाले हारमोन्स में असन्तुलन आने से अस्थि विकृति की समस्या आने लगती है क्योंकि कैल्शियम का चयापचय एवं अवशोषण ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है।

6. हड्डियों एवं दाँतों में परिवर्तन - इस अवस्था में हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं। अस्थि विकृति गठिया रोग आदि होने लगते हैं। शरीर में कैल्शियम तथा फास्फोरस धीरे-धीरे कम होने लगता है जिसके कारण हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं और जरा सी चोट लगने पर टूट जाती हैं। इसलिए इस अवस्था में डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम टेबलेट लेना शुरू कर देना चाहिए।

इस अवस्था में दाँत एवं मसूढ़े भी कमजोर होने लगते हैं। मसूढ़े कमजोर होने से दाँत टूटने लगते हैं और अनेक प्रकार की दाँतों, मसूढ़ों से सम्बन्धित समस्याएँ पैदा होने लगती हैं। दाँतों के टूटने से मुँह की आकृति में भी परिवर्तन आने लगता है।

7. रक्त परिसंचरण तन्त्र में अन्तर — इस अवस्था में रक्त परिसंचरण तन्त्र में परिवर्तन आने लगता है। इस अवस्था में हृदय की पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण उनमें क्रियाशीलता में कमी आने लगती है। रक्त नलिकाओं में जमाव होने लगता है जिसके कारण उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, हृदय रोग आदि होने की सम्भावना होने लगती है। इस अवस्था में नियमित व्यायाम और डॉक्टरी चेकअप करवाते रहना चाहिए।

8. त्वचा एवं बालों में परिवर्तन- इस अवस्था में त्वचा एवं बालों में परिवर्तन आने लगता है। वाह्य त्वचा का पतला होना, तैलीय एवं स्वेद ग्रन्थियों के अपक्षय से त्वचा शुष्क एवं खुरदरी होने लगती है। चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ने लगती हैं, बाल सफेद होने लगते हैं, नाखून कड़े एवं चमकहीन होने लगते हैं।

9. जनन क्षमता में अन्तर — इस अवस्था में जनन क्षमता का ह्रास होने लगता है। स्त्री-पुरुषों की लैंगिक जनन क्षमता कमजोर हो जाती है। कामशक्ति घट जाती है। अतः इस अवस्था में व्यक्ति अध्यात्म की ओर मुड़ने लगते हैं।

10. शारीरिक स्वास्थ्य में परिवर्तन- इस अवस्था में शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है तथा अनेकों स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न होने लगती हैं जैसे- शीघ्र थक जाना, भूख न लगना, कानों में सनसनाहट, त्वचा में संवेदनशीलता, पैरों में समस्या, आँतों सम्बन्धी विकास, अम्लता की समस्या, हृदय विकास की समस्या आदि परिवर्तन होने लगते हैं जिससे व्यक्ति में उदासीनता का भाव उत्पन्न होने लगता है और कुसमायोजना की समस्या उत्पन्न होने लगती है। शारीरिक क्षमता में कमी के कारण शरीर की क्रियाशीलता कम होने लगती है। शारीरिक क्रियाशीलता कम होने से व्यक्ति खुद को असहाय महसूस करने लगता है।

II. मानसिक परिवर्तन - इस अवस्था में मानसिक क्षमतओं का ह्रास होने लगता है। इस अवस्था में मानसिक परिवर्तन तीव्र गति से होने लगते हैं। व्यक्ति की रुचियों, आदतों और मनोवृत्तियों में परिवर्तन आने लगता है। स्मरण शक्ति कम होने लगती है। इन अनेक कारणों से इस अवस्था में समायोजन की समस्या उत्पन्न होने लगती है। चूंकि इस अवस्था के अन्त में व्यावसायिक जीवन के समापन का समय होता है। अतः उनमें यह धारणा उत्पन्न होने लगती है कि अब परिवार व समाज में उनकी आवश्यकता नहीं है। वे दूसरों पर बोझ हैं। उनकी यह अवधारणा मानसिक तनाव पैदा करता है। वे जिद्दी, क्रोधी होने लगते हैं जिससे परिवार के वे साथ समायोजन में कठिनाई महसूस करते हैं।

III. सामाजिक परिवर्तन - इस अवस्था के अन्त में व्यक्ति समाज की भागीदारी और गतिविधियों में हिस्सा लेना बन्द कर देता है। इस समय व्यक्ति सुख, शान्ति और प्रतिष्ठा से जीने की कामना करने लगता है। उनका चिंतन यथार्थवादी हो जाता है। सामाजिक सम्बन्धों के प्रति मनोवृत्तियाँ दृढ़ हो जाती हैं। इस समय व्यक्ति अपने सन्तान के साथ समायोजन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है क्योंकि आयु के अन्तराल के कारण दोनों के विचारों, सोचने के तरीकों और मनोवृत्तियों में अन्तर होता है। उचित समायोजन के लिये आवश्यक है कि व्यक्ति अपने परिवार के साथ उचित तालमेल रखे जिससे उनकी वृद्धावस्था मानसिक सन्तुष्टि व शान्ति के साथ व्यतीत हो सके।

चूँकि वृद्धों को आधुनिक समाज द्वितीय श्रेणी का नागरिक मानता है। समाज यह मानता है कि एक आयु के बाद स्वास्थ्य, आर्थिक दशा व शारीरिक दशा के कमजोर हो जाने से व्यक्ति परिश्रम नहीं कर सकता है। अतः व्यावसायिक समस्याएँ उनके लिये चुनौतियाँ बन जाती हैं जिनका सामना करने की शक्ति इस अवस्था में नहीं रहती है। समाज द्वारा उन्हें द्वितीय श्रेणी प्रदान करने से उनके मन में सुरक्षा से जुड़े कई सवाल उत्पन्न होते हैं जिनका उनके व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि इस अवस्था में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक अनेकों परिवर्तन होते हैं जिसके कारण इस अवस्था में व्यक्ति को अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन व्यक्ति को अपने आपको कमजोर नहीं समझना चाहिए। धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ानी चाहिए। सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लेना चाहिए जिससे शारीरिक क्रियाशीलता बनी रहे और व्यक्ति अपने को असहाय महसूस न कर सके।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

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